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लोकतांत्रीय राजनीतिक व्यवस्था में पंचायती राज

लोकतांत्रीय राजनीतिक व्यवस्था में पंचायती राज लोकतांत्रीय राजनीतिक व्यवस्था में पंचायती राज वह माध्यम है , जो शासन को सामान्य जनता के दरवाजे तक लाता है। लोकतंत्र की संकल्पना को अधिक यर्थाथ में अस्तित्व प्रदान करने की दिशा में पंचायती राज व्यवस्था एक ठोस कदम है। पंचायती राज व्यवस्था में स्थानीय जनता की स्थानीय शासन कार्यों में अनवरत रूचि बनी रहती है , क्योंकि वे अपनी स्थानीय समस्याओं का स्थानीय पद्धति से समाधान कर सकते हैं। अत: इस अर्थ में भागीदारिता की प्रक्रिया के माध्यम से जनता को प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से शासन एवं प्रशासन का प्रशिक्षण स्वत: ही प्रदान रहती है। देश में ग्रामीण विकास की दिशा में सर्वप्रथम गरीबों एवं ग्रामीण विकास के शुभचिंतक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के जन्म दिवस के शुभ अवसर पर 2 अक्टूबर 1952 को भारतीय शासन ने सामुदायिक विकास कार्यक्रम का शुभारंभ किया। 2 अक्टूबर 1952 को राष्ट्रीय विस्तार सेवा का शुभारंभ किया गया। ग्रामीण भारत में निवास कर रहे गरीबों की समस्याओं का अध्ययन करने के लिए जनवरी 1957 में स्व. बलवंतराय मेहता समिति का गठन किया गया। 24 नवंबर 1957 ...

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  पुनर्जागरण   क्या है ? पुनर्जागरण या रिनैंसा यूरोप में मध्यकाल में आये एक संस्कृतिक आन्दोलन को कहते हैं। यह आन्दोलन इटली से आरम्भ होकर पूरे यूरोप फैल गया। इस आन्दोलन का समय चौदहवीं शताब्दी से लेकर सत्रहवीं शताब्दी तक माना जाता है। फसल चक्र क्या है किसी निश्चित क्षेत्र पर निश्चित अवधि के लिए भूमि की उर्वरता को बनाये रखने के उद्देश्य से फसलों को अदल - बदल कर उगाने की क्रिया को फसल चक्र कहते हैं । मृदा   क्या है ? पृथ्वी ऊपरी सतह पर मोटे , मध्यम और बारीक कार्बनिक तथा अकार्बनिक मिश्रित कणों को मृदा ( मिट्टी / soil) कहते हैं। मृदा संरक्षण की विधियाँ हैं? मृदा संरक्षण की विधियाँ हैं - वनों की रक्षा , वृक्षारोपण , बंध बनाना , भूमि उद्धार , बाढ़ नियंत्रण , अत्यधिक चराई पर रोक , पट्टीदार व सीढ़ीदार कृषि , समोच्चरेखीय जुताई तथा शस्यार्वतन। मृदा अपरदन क्या है ? मृदा को अपने स्थान से विविध रासायनिक , भौतिक एवं जैविक क्रियाओ...