नबाब हमीदुल्लाह खानअपनी अदूरदर्शिता के कारण ही अपने गौरव को बचाने में असफल रहे?
नबाब हमीदुल्लाह खानअपनी अदूरदर्शिता के कारण ही अपने गौरव को बचाने में असफल रहे? हमीदुल्लाह खान भोपाल के नबाबों मे सबसे ज्यादा1926 में उसी रियासत के नवाब बने थे हमीदुल्लाह खान।अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से शिक्षित नवाब हमीदुल्लाह दो बार 1931 और 1944 में चेम्बर ऑफ प्रिंसेस के चांसलर बने तथा भारत विभाजन के समय वे ही चांसलर थे। आजादी का मसौदा घोषित होने के साथ ही उन्होंने 1947 में चांसलर पद से इस्तीफा दे दिया। चूंकि नवाब हमीदुल्लाह नेहरू और मोहम्मद अली जिन्ना दोनों के मित्र थे नबाव की अदूरदर्शिता यह रही कि वे14 अगस्त 1947 तक वह कोई फैसला नहीं ले पाए। इस बीच जिन्ना ने उन्हें पाकिस्तान में सेक्रेटरी जनरल का पद देकर वहां आने कहा लेकिन नबाब अच्छा ओहदा के लालसा मे थे इस लिए निर्णय नहीं कर पाए उन्होंने अपनी बेटी आबिदा को भोपाल रियासत का शासक बन जाने को कहा। आबिदा ने इससे इनकार कर दिया। मार्च 1948 में नवाब हमीदुल्लाह ने भोपाल के स्वतंत्र रहने की घोषणा कर दी और विलीनीकरण से इनकार कर दिया मई 1948 में नवाब ने भोपाल सरकार का एक मंत्रीमंडल घोषित कर दिया। प्र...