जम्मू और कश्मीर सितम्बर 2014 बाढ़


सितम्बर 2014 में, मूसलाधार मानसूनी वर्षा के कारण भारतीय राज्य जम्मू और कश्मीर ने अर्ध शताब्दी की सबसे भयानक बाढ़ आई

भारत में मानसून के अंतिम चरण में, जम्मू और कश्मीर और इससे लगे हुए इलाकों में 2 सितम्बर 2014 से भारी वर्षा होने लगी। इस कारण से भारत के साथ साथ पाकिस्तान में भी बाढ़ और भूस्खलन की घटनायें सामने आयीं। 5 सितम्बर को श्रीनगर में झेलम नदी का जलस्तर 22.40 फीट (6.83 मी॰) हो गया जो कि खतरें के निशान से 4.40 फीट (1.34 मी॰) अधिक है। अनंतनाग जिले के संगम में जलस्तर 33 फीट (10 मी॰) पहुँच गया जो कि खतरे के निशान से 12 फीट (3.7 मी॰) ऊपर है।
चेनाब नदी भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, जिसके कारण पाकिस्तान के सैकड़ों गाँव जलमग्न हो गए। भारी वर्षा ने पाकिस्तान के गिलगित-बल्तिस्तान, कश्मीर व पंजाब प्रान्तों के कई जिलों में भारी तबाही मचाई है।
8 सितम्बर 2014 को कश्मीर घाटी में सभी जिलों में बाढ़ का प्रभाव रहा है
कश्मीर घाटी के सभी जिलों में बाढ़ का प्रभाव दिख रहा है। 6 सितम्बर 2014 को कश्मीर घाटी में 
मृत लोगों की संख्या 100 पार कर गई। जम्मू और कश्मीर में 2,500 गाँव बाढ़ से प्रत्यक्ष रूप से 

प्रभावित हैं, जिसमे 450 गाँव जल समाधि ले चुके हैं।बाढ़ के कारण जम्मू और कश्मीर के सड़कों पर 

पानी भर गया है। अनंतनागश्रीनगरपुलवामाबारामुला और सोपोर जिलें बाढ़ से बुरी तरह से प्रभावित


 हैं। झेलम नदी खतरे के निशान से लगातार ऊपर बह रही है। राज्य में बाढ़ से लाखों लोग प्रभावित
 हुए हैं।
8 सितम्बर 2014 के अनुसार, श्रीनगर और इसके पड़ोसी जिलों में 12 फीट (3.7 मी॰) तक पानी भर 

गया है, जिससे अधिकांश घर पानी में डूब गए 70000 घन मीटर पानी हर सेकेंड छोड़ा जा रहा है।

सितम्बर 2014 में, मूसलाधार मानसूनी वर्षा के कारण भारतीय राज्य जम्मू और कश्मीर ने अर्ध 

शताब्दी की सबसे भयानक बाढ़ आई

बाढ़ के कारण जम्मू-कश्मीर में बिजली, रेलवे व संचार सुविधाओं को काफी नुकसान हुआ है। साथ ही 

व्यापार, होटल, रेस्तरां, बागवानी व हस्तशिल्प उद्योग को व्यापक क्षति पहुंची है। राज्य में बाढ़ से

 लाखों लोग प्रभावित हुए हैं। केंद्र सरकार ने माना है कि जम्मू-कश्मीर में बाढ़ की ऐसी भयानक 

बाढ़ की स्थिति 109 सालों में पहली बार देखने को मिली है।


भीषण तबाही के पीछे की बातें-

अति वर्षा
आम तौर पर हम सभी इस तबाही को वहां की मूसलाधार बारिश से ही जोड़कर देख रहे हैं। दरअसल 3-6 सितंबर तक घाटी में 250 मि‍मी. बारिश दर्ज की गई। वैज्ञानिक-विशेषज्ञों की मानें तो वहीं कई जगहों पर 500 मिमी. तक की बारिश भी लगातार हुई जिससे हालात असामान्य होते चले गए भारी वर्षा से भयानक बाढ़ आई
वेस्टर्न डिस्टर्बेंस
इस मूसलाधार बारिश का योग 'वेस्टर्न डिस्टर्बेंस' से बना। अफगानिस्तान व मेडीटेरियनन से आए प्रतिकूल वातावरण यहां मॉनसून विंड के साथ मिला और देर तक ना थमने वाली बारिश ने इस तरह तबाही मचाई...
हाइड्रो-पॉवर प्रोजेक्ट -पॉवर प्रोजेक्ट की 'बाढ़' पर्यावरणविदों ने बताया कि भारत से पाक तक की सरज़मीं को छूने वाली चिनाब नदी पर सबसे ज्यादा हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट बनाए गए हैं। इसका भी प्राकृतिक असर देखने को मिला।
डॉप्लर रडार

विशेषज्ञों का कहना है कि क्षेत्र में डॉप्लर रडार ना होने से तबाही का अंदाज़ा नहीं लगाया जा सका। इन रडारों की मदद से 24-72 घंटे पहले इस तरह के कहर का अंदेशा लग जाता है जो कि घाटी में नहीं थे। हालांकि इससे तबाही रेाकी नहीं जा सकती पर नुकसान को भांपकर सतर्क ज़रूर हुआ जा सकता है।

राहत एवं बचाव कार्य 14 सितंबर 2014 को जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार भारतीय सेना और एनडीआरएफ ने 1,84,000 से भी ज्‍यादा लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुँचा दिया था। यही नहीं, 5,08,000 लीटर पानी एवं 3,10,000 खाद्य पैकेट और 1054 टन से ज्‍यादा पके खाद्य पदार्थ तथा 8,200 कंबल बाढ़ पीडि़तों के बीच वितरित किए जा चुके थे तथा उन लोगों को 1392 टेंट मुहैया कराए गए।

जल को शुद्ध करने वाली 13 टन टैबलेट और हर दिन 1.2 लाख बोतलों को फिल्‍टर करने की क्षमता रखने वाले छह संयंत्र पहले ही श्रीनगर पहुंच गए हैं। विशाखापत्‍तनम से रवाना किए गए जल निकासी पंप समेत इंजीनियरिंग स्‍टोर भी बाढ़ प्रभावित क्षेत्र पहुंच गए हैं। अवंतिपुर, पट्टन, अनंतनाग और ओल्‍ड एयरफील्‍ड में चार फील्‍ड हॉस्पिटल खोले गए जहाँ उक्त तिथि तक 51,476 मरीजों का इलाज किया गया। इसके अतिरिक्त सड़क संपर्क बहाल करने के लिए सीमा सड़क संगठन के पांच कार्यदल, जिनमें 5700 कर्मी शामिल हैं तैनात किए गए हैं। वे अब तक बटोटे-किश्‍तवाड़ और श्रीनगर-सोनामार्ग सड़क संपर्कों को सफलतापूर्वक बहाल कर चुके हैं। श्रीनगर-बारामूला सड़क को हल्के वाहनों के लिए खोले गए

24 सितंबर 2014 तक राहत एवं बचाव कार्य सफलतापूर्वक किए जा चुके थे अब विस्थापितों को उनकी जीवनशैली में नए सिरे से वापस ले जाने के लिए कार्य करना होगा।

आर्थिक सहायता

भारत के प्रधानमंत्री ने जम्मू और कश्मीर राज्य के सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण किया और ₹1,000 करोड़ (US$146 मिलियन) की मदद राज्य सरकार को दी,

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने मुख्यमंत्री राहत कोष से ₹10 करोड़ (US$1.46 मिलियन) की वित्तीय सहायता देने की घोषणा की। इसके अतिरिक्त मध्य प्रदेशगुजराततमिलनाडु  आन्ध्र प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने भी ₹5 करोड़ (US$0.73 मिलियन) की वित्तीय सहायता देने की घोषणा की।


एनडीएम यानि राष्ट्रीय आपधा प्रबंधन को आगे से इस तरह के क्षेत्रों में वॉर्निंग तंत्र मजबूत करना

 होगा। आम जनता को जहां जगह मिलेगी वहां आश‍ियाना खड़े कर लिए जाएंगे पर जिम्मेदार 

संस्थाओं को यह बताने का फर्ज याद होना चाहिए कि कौन सी जगह खतरा है व कहां है सुरक्षा व

 खुशहाली

जम्मू-कश्मीर- पिछले छह दशक में आई सबसे भीषण बाढ़ ने जान-माल-जिंदगी सबकुछ उजाड़कर

रख दिया है। सेना की मदद से बचाव कार्य लगभग सफल हुआ है अब विस्थापितों को उनकी 

जीवनशैली में नए सिरे से वापस ले जाने के लिए सरकार-समाज में मंथन जारी है 

कश्मीर में बाढ़ से हुई भयंकर तबाही को 5 बरस बीत गया, लेकिन इस प्राकृतिक हादसे के शिकार हुए लोगों को 

लगता है कि इस दौरान केन्द्र और राज्य की सरकारों ने उनके पुनर्वास हेतु बहुत ही कम काम किया है

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