National Nutrition Mission Scheme/“राष्ट्रीय पोषण रणनीति” (National Nutrition Strategy)
National Nutrition Mission Scheme
नेशनल न्यूट्रिशन मिशन यानी कि राष्टीय पोषण अभियान की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी ने महिला दिवस के मौके पर 08 मार्च को राजस्थान के झुंझुनू जिले में की थी.
इससे पहले30 नवंबर 2017 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय पोषण मिशन की स्थापना को
स्वीकृति दी थी.इस मिशन के तहत बच्चों, महिलाओं में कुपोषण की समस्या को दूर
करना है. राष्ट्रीय योजना के अंतर्गत नवजात बच्चों के वजन में कमी, ठिगनेपन, खून की
कमी, खाने में पोषक तत्वों का असंतुलन आदि के निवारण के लिए नियम बनाए जाएंगे.
इसका मुख्य उद्देश्य भारत तो कुपोषण मुक्त करना है.
नीति आयोग द्वारा देश में पोषण के क्षेत्र में नए सिरे से
ध्यान देने के लिये “राष्ट्रीय पोषण रणनीति” (National
Nutrition Strategy) शुरू की गई है।
राष्ट्रीय पोषण
रणनीति की आवश्यकता
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हाल ही में प्रकाशित राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य
सर्वेक्षण - 4 (National Family Health Survey - 4 NFHS) में देश की
स्वास्थ्य स्थिति के विषय में जानकारी प्रदान की गई है।
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सर्वेक्षण के अनुसार, महिलाओं और
बच्चों के समग्र पोषण स्तर में गिरावट आई है। हालाँकि, समान विकास दर वाले अन्य देशों की तुलना में भारत में इस दर
में कम गिरावट आई है।
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इस समस्या का समाधान करने तथा पोषण को राष्ट्रीय
विकास एजेंडे (National Development Agenda) के केंद्र में
लाने के लिये नीति आयोग द्वारा राष्ट्रीय पोषण नीति (National Nutrition Strategy) का मसौदा तैयार किया गया है|
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इसके अतिरिक्त, निम्न और मध्यम
आय वर्ग वाले 40 देशों के लिये 16 : 1 के मूल्यानुपात
का लाभ प्राप्त करने तथा वैश्विक रूप से पोषण में निवेश करने के लिये एक मान्यता
प्राप्त तर्क होना चाहिये|
रणनीति की मुख्य
विशेषताएँ
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एक व्यापक सलाहकारी प्रक्रिया के माध्यम से पोषण के
लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये इस रणनीति के तहत एक प्रभावी रोडमैप तैयार किया
गया है|
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इस रणनीति के अंतर्गत एक ढाँचे की परिकल्पना की गई है, जिसमें पोषण के निम्नलिखित चार सबसे महत्त्वपूर्ण तत्त्वों
को शामिल किया गया है – स्वास्थ्य सेवाएँ, भोजन, पेयजल और सफाई तथा आय एवं आजीविका।
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ये सभी तत्त्व भारत में अल्प-पोषण की गिरती दर को
तीव्रता प्रदान करने में सहायता करते हैं|
आपूर्ति पक्ष की
चुनौतियाँ
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पोषण सेवाओं हेतु मांग उत्पन्न करने के लिये किये
जाने वाले व्यावहारिक प्रयासों पर सबसे अधिक प्रभाव आपूर्ति पक्ष का पड़ता है|
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इस संदर्भ में यह रणनीति मांग और समुदाय संचालन के
मध्य सामंजस्य स्थापित करते हुए इनकी आवश्यकताओं को महत्त्व प्रदान करती है।
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वस्तुतः देश की पोषण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये
पोषण तत्त्वों की मांग एवं आपूर्ति में सह:संबंध स्थापित करना बहुत ज़रुरी है।
इस संबंध में
विकेन्द्रित प्रयासों की आवश्यकता
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ध्यातव्य है कि राष्ट्रीय पोषण रणनीति के ढाँचे के
अंतर्गत कुपोषण मुक्त भारत (Kuposhan Mukt Bharat) की परिकल्पना की
गई है जो कि स्पष्ट रूप से ‘स्वच्छ भारत एवं
स्वस्थ भारत’ (Swachh Bharat and Swasth Bharat) अभियान से जुड़ी
हुई परिकल्पना है|
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इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि राज्य द्वारा
स्थानीय आवश्यकताओं और चुनौतियों का समाधान करने के लिये अनुकूलित राज्य/ज़िला
कार्यवाही योजनाएँ (State/ District Action Plans) बनाई जाएँ|
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यह रणनीति विकेन्द्रित योजनाओं और स्थानीय नवाचारों
के माध्यम से राज्यों को पोषण संबंधी अच्छे परिणाम प्राप्त करने हेतु सामरिक चुनाव
करने में समर्थ बनाती है।
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