राष्ट्रीय महिला आयोग,National Commission for Women, NCW



राष्ट्रीय महिला आयोग,National Commission for Women, NCW
भारत में महिलाओं की स्थिति पर गठित समिति (स्टेटस ऑफ वुमेन इन इन्डिया – CSWI) ने लगभग दो दशक पहले, शिकायतों के निपटान के लिए निगरानी कार्यों की पूर्ति तथा महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक विकास को त्वरित करने के लिए राष्ट्रीय महिला आयोग की अनुशंसा की।
महिलाओं की राष्ट्रीय परिप्रेक्ष योजना (1988 – 2000) के साथ-साथ अनुक्रमिक समिति / आयोग / नीति ने महिलाओं के लिए शीर्ष निकाय के विधान की अनुशंसा की।
वर्ष 1990 के दौरान, केन्द्र सरकार ने एनजीओ, सामाजिक कार्यकर्ताओं और विशेषज्ञों के साथ मिलकर आयोग प्रस्तावित संरचना, कार्यों, शक्तिओं की स्थापना की।
मई 1990 में, बिल को लोकसभा में लाया गया।
जुलाई 1990 में, बिल के संदर्भ में, HRD मंत्रालय ने सुझाव प्राप्त करने के लिए राष्ट्रीय स्तर के कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया। अगस्त 1990 में सरकार ने अनेक संशोधन किए और नागरिक अदालत के साथ आयोग को अधिकृत करने के लिए नए प्रावधान लाए।
(भारत सरकार की 1990 की अधिनियम सं. 20) 30 अगस्त 1990
राष्ट्रीय महिला आयोग का गठन 10 जनवरी 1992 में राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम, 1990 के तहत एक सांविधिक निकाय के रूप में किया गया था। इसका उद्देश्य महिलाओं की संवैधानिक और क़ानूनी सुरक्षा को सुनिश्चित करना, उनके लिये विधायी सुझावों की सिफारिश करना, उनकी शिकायतों का निवारण करना तथा महिलाओं को प्रभावित करने वाले सभी नीतिगत मामलों में सरकार को सलाह देना है।
(स्थापना राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम 1990 (भारत सरकार की 1990 की अधिनियम सं. 20) के अंतर्गत पहले आयोग का गठन 31 जनवरी 1992 को अध्यक्ष के रूप में श्रीमती जयंती पटनाइक के नेतृत्व में हुआ।

यह एक ऐसी इकाई है जो शिकायत या स्वतः संज्ञान के आधार पर महिलाओं के संवैधानिक हितों और उनके 

लिए कानूनी सुरक्षा उपायों को लागू कराती है। आयोग की पहली प्रमुख सुश्री जयंती पटनायक थीं।

संगठनात्मक संरचना आयोग का संविधान

खंड 3  राष्ट्रीय महिला आयोग, अधिनियम 1990  (1990 की अधिनियम सं. 20, भारत सरकार)
  1. केन्द्र सरकार शक्ति प्रदान करने और इस अधिनियम के अन्तर्गत निर्दिष्ट कार्यों के संपादित करने के लिए राष्ट्रीय आयोग के रूप में एक निकाय का गठन करेगी।
  1. आयोग में होंगे:-
(a) महिलाओं के हित के लिए समर्पित एक अध्यक्ष, जिसे केन्द्र सरकार द्वारा मनोनीत किया जाएगा।
(b) पांच सदस्य, जिन्हें केन्द्र सरकार द्वारा मनोनीत किया जाना है, जो योग्य, एकीकृत और अथायी हों और कानून अथवा विधान, व्यापार संघ, महिलाओं की उद्यमिता प्रबन्धन, महिलाओं के स्वैच्छिक संस्थान (महिला कार्यकर्ताओं को शामिल करते हुए), प्रशासन, आर्थिक विकास, स्वास्थ्य, शिक्षा और समाज कल्याण का अनुभव रहा हो;
बशर्ते कि कम से कम एक सदस्य क्रमश: अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से होंगे।
(c) केन्द्र सरकार द्वारा मनोनीत एक मेम्बर-सेक्रेटरी, जो:-
i. प्रबन्धन, संगठनात्मक संरचना अथवा समाजशास्त्रीय गतिविधियों के विशेषज्ञ होंगे, अथवा
ii. एक अधिकारी जो यूनियन के सिविल सर्विस अथवा अखिल भारतीय सर्विस के सदस्य होंगे अथवा जो उपयुक्त अनुभव के साथ यूनियन के अंतर्गत सिविल पोस्ट होल्ड करते है।

उद्देश्य
महिलाओं के लिए राष्ट्रीय आयोग की स्थापना राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम 1990 निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए की गई थी:
  • महिलाओं के लिए संवैधानिक और कानूनी संरक्षण की समीक्षा करना;
  • सुधारात्मक वैधानिक उपायों की अनुशंसा;
  • शिकायतों के सुधार की सुविधा प्रदान करना और
  • महिलाओं को प्रभावित करने वाले सभी नीतिगत तथ्यों पर सरकार को सलाह देना।
आयोग के कार्य
1.आयोग के कार्यों में संविधान तथा अन्‍य कानूनों के अंतर्गत महिलाओं के लिए उपबंधित सुरक्षापायों की जांच और परीक्षा करना है।
आयोग का आदेशपत्र
खंड 10    राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम, 1990(1990 की अधिनियम सं. 20, भारत सरकार)
\ आयोग निम्नलिखित में से सभी अथवा कोई एक कार्य संपादित करेंगे, यथा: -
  1. संविधान तथा अन्य कानूनों के अंतर्गत महिलाओं को प्रदान किए गए संरक्षण से संबंधित सभी मामलों की जांच तथा पड़ताल;
  2. वार्षिक रूप से केंद्र सरकार को प्रस्तुत करना तथा ऐसे ही अन्य मदों पर जिन्हें आयोग सही मानता है, उन सुरक्षा की कार्यप्रणाली पर रिपोर्ट सौंपना ;
  3. केंद्र या किसी राज्य द्वारा महिलाओं की दशा को सुधारने के लिए तय प्रावधानों के प्रभावी क्रियांवयन के लिए अनुशंसा रिपोर्ट सौंपना;
  4. महिलाओं के ऊपर संविधान तथा अन्य कानूनों के प्रावधानों की समय-समय पर समीक्षा तथा संशोधन का सुझाव, ताकि उन्हें और बेहतन बनाया जा सके;
  5. महिलाओं के ऊपर संविधान तथा अन्य कानूनों के प्रावधानों के उल्लंघन के मामले को उचित अधिकारियों द्वारा देखना;
  6. शिकायतों की जांचकर अपनी तरफ से निम्न मामलों से जुड़ा नोटिस भेजना:-
    1. महिला अधिकाओं का वंचन  of women's rights;
    2. महिला को सुरक्षा प्रदान करने वाले कानून का लागू न होना तथा समानता और विकास का उद्देश्य हासिल करना;
    3. महिलाओं की कठिनाइयों को कम कर राहत कल्याण करने वाले निर्देशों, नीति निर्णयों के अनुपालन न होना और ऐसे मामलों से उपजे मुद्दे को उचित अधिकारियों के साथ उठाना;
    1. महिलाओं के खिलाफ अत्याचार तथा भेदभाव से उपजी विशेष समस्यायों का विशेष अध्ययन या जांच करना और उनसे छुटकारा के लिए अनुशंसित रणनीतियों की सामाओं की पहचान करना;
    2. बढ़ावा देने वाले तथा शिक्षित करने वाले अनुसंधान का संचालन करना, ताकि हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जा सके और उनके विकास के अड़चनों की पहचान करना, जैसे घर तथा बुनियादी सेवाओं की कमी, अरुचिकर कार्यों को कम करने तथा स्वास्थ्य खतरे को कम करने तथा उनकी उत्पादकता को बढ़ाने के लिए अपर्याप्त सहायक सेवाएं तथा तकनीकियां;
    3. महिलाओं के सामाजिक-आर्थिक विकास की योजना प्रक्रिया में भाग लेना तथा अपनी सलाह देना;
    4. संघ तथा राज्य के तहत महिला विकास की प्रगति का मूल्यांकन करना;
    5. जेल, सुधार गृह, महिला संस्थान या अन्य कैद स्थान जहां महिलाओं को कैदी के रूप में रखा जाता है की जांच करना तथा आवश्यकता पड़ने पर संबंधित अधिकारी के समक्ष सुधार हेतु परामर्श करना;
    6. फंड मुकदमा जिसमें ऐसे मामले शामिल हों, जो महिलाओं के बड़े निकाय को प्रभावित करते हों;
    7. महिलाओं से जुड़े किसी भी मामले पर सरकार को समय-समय पर रिपोर्ट सौंपना;
    8. अन्य कोई मामला जिसे केंद्र सरकार द्वारा इसे हस्तांरित किया गया हो।
  1. केंद्र सरकार उप धारा (1) के उपबंध (b) से संबंधित सभी रिपोर्टों को संघ द्वारा दी गई अनुशंसाओं से संबंधित उठाए गए कदम या उठाए जाने वाले कदम के ज्ञापन के साथ संसद के दोनों सदन में रखेगी, और यदि कोई अनुशंसा मान्य न हो तो उसके बारे में भी सूचित करेगी।
  2. जहां कोई ऐसी रिपोर्ट या उसका कोई हिस्सा राज्य सरकार से जुड़ा होता है, आयोग उस रिपोर्ट या हिस्से को उस राज्य सरकार को भेजेगी, जो उसे राज्य विधान सभा में उठाए गए कदम या उठाए जाने वाले कदम के ज्ञापन के साथ संसद के दोनों सदन में रखेगी, और यदि कोई अनुशंसा मान्य न हो तो उसके बारे में भी सूचित करेगी।
  3. उपधारा (1) के उपबंध  (f) के उप-उपबंध (i) या उपबंध (a) में किसी मामले की जांच करने के दौरान आयोग के पास विशेषकर निम्न के संदर्भ में एक दीवानी अदालत के सभी अधिकार होंगे:-
    1. भारत के किसी भाग से किसी भी व्यक्ति को सम्मन भेजना तथा उपस्थित होने का आदेश देना और शपथ के दौरान उसकी जांच करना;
    2. किसी दस्तावेज की खोज तथा प्रस्तुति की आवश्यकता जताना;
    3. शपथ पत्रों पर साक्ष्यों को प्राप्त करना;
    4. किसी सार्वजनिक रिकॉर्ड या कॉपी को किसी अदालत या कार्यालय से प्राप्त करना;
    5. गवाहों और दस्तावेजों की जांच के लिए आयोग का गठन करना; तथा
    6. या कोई अन्य मामला जिसका सुझाव दिया गया हो।

आयोग ने अपने अभियान में प्रमुखता के साथ दहेजराजनीतिधर्म और नौकरियों में महिलाओं के लिए प्रतिनिधित्व

तथा श्रम के लिए महिलाओं के शोषण को शामिल किया है, साथ ही महिलाओं के खिलाफ पुलिस दमन और गाली-

गलौज को भी गंभीरता से लिया है। बलात्कार पीड़ित महिलाओं के राहत और पुनर्वास के लिए बनने वाले कानून में राष्ट्रीय 

महिला आयोग की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। अप्रवासी भारतीय पतियों के जुल्मों और धोखे की शिकार या परित्यक्त महिलाओं 

को कानूनी सहारा देने के लिए आयोग की भूमिका भी अत्यंत सराहनीय रही है

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