सामुदायिक संगठन MPPSC MAINS

 सामुदायिक संगठन 

सामुदायिक संगठन साधारण बोलचाल में सामुदायिक संगठन का अभिप्रायकिसी समुदाय की आवश्यकताअें तथा साधनों के बीच समन्वय स्थापित कर समस्याओं का समाधान करने से है। सामुदायिक संगठन एक प्रक्रिया है। इस रूप में सामुदायिक संगठन का तात्पर्य किस समुदाय या समूह में लोगों द्वारा आपस में मिलकर कल्याण कार्यो की योजना बनाना तथा इसके कार्यान्वयन के लिए उपाय तथा साधनों को निश्चित करना है किसी समुदाय से सम्बन्धित प्रक्रियांए अनेक प्रकार की हो सकती है अतसामुदायिक संगठन की प्रक्रिया का अभिप्राय केवल उस प्रक्रिया से है जिसमें समुदाय की शक्ति और योग्यता का विकास किया जाता है। 

  1. लिण्डमैन  के अनुसार :- ‘‘सामुदायिक संगठन सामाजिक संगठन का वह स्तर है जिसमें समुदाय के द्वारा चेतन प्रयास किये जाते हैं तथा जिसके द्वारा वह अपने मामलों का प्रजातांत्रिक ढ़ंग से नियंत्रित करता है तथा अपने विशेषज्ञों ,जो संगठनोंसंस्थाओं तथा संस्थानों से जाने-पहचाने अन्तर सम्बन्धियों के द्वारा उनकी उच्च कोटि की सेवायें प्राप्त करता है।
  2. पैटिट के अनुसार - ‘‘सामुदायिक संगठन एक समूह के लोगों की उनकी सामान्य आवयकताओं को पहचानने तथा इन आवश्यकताओं की पूर्ति में सहायता करने के रूप में उत्तम प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है।’’
  3.  

‘‘सामुदायिक संगठन एक कार्यात्मक या भौगोलिक क्षेत्र की समाज कल्याण आवश्यकताओं और समाज कल्याण साधनों के बीच प्रगतिशील एवं अधिक प्रभाशाली समायोजन लाने और उसे बनाये रखने की प्रक्रिया है इसके उदद्ेश्य समाज कार्य के उदद्ेश्यों के अनुरूप है

सामुदायिक संगठन के निम्नलिखित उद्देश्य है।

सामान्य उद्देश्य-

  1. आवश्यकताओं की परिभाशा एंव खोज। 
  2. सामाजिक आवश्यकताओं और अयोग्यताओं की रोकथाम और समाप्ति। 
  3. साधनों और आवश्यकताओं का स्पश्टीकरण और बदलती हुई आवश्यकताओं को अच्छे तरीके से पूरा करने के लिए साधनों का पुनसमायोजन। 

द्वितीयक उददेश्य- 

  1. ठोस नियोजन एवं प्रयास के लिए एक पर्याप्त वास्तविक आधार प्राप्त करना और उसको बनाये रखना। 
  2. कल्याणकारी कार्यक्रमों और सेवाओं को आरम्भ करना ,विकसित करना और उनमें आषोधन करना जिससे साधनों और आवश्यकताओं के बीच समायोजन स्थापित किया जा सके। 
  3. समाज कार्य के स्तर को ऊँचा करना और व्यक्तिगत संस्थाओं के प्रभाव में वृद्धि करना। 
  4. परस्पर सबंधों में सुधार करना और उन्हें सुविधाजनक (सरलबनाना और समाज कल्याण कार्यक्रमों एवं सेवाओं के प्रदान करने से संम्बन्धित संगठनोंसमूहों और व्यक्तियों के बीच समन्वय लाने के लिए प्रोत्साहित करना। 
  5. कल्याण सम्बन्धी समस्याओंआवश्यकताओं और समाज कार्य उद्देश्योंकार्यक्रमों और प्रणालियों के विशय में जनता में ज्ञान को विकसित करना। 
  6. समाज कल्याण सबंधी क्रियाकलापों के प्रति जनता का समर्थन और सहभागिता का विकास करना। 

सैण्डर्सन तथ पाल्सन के अनुसारइसके विशिष्ट उद्देश्य हैं। 

  1. सामुदायिक पहचान की चेतना जाग्रत करना। 
  2. सम्पूर्ण आवश्यकताओं की संतुष्टि करना। 
  3. समाजीकरण के साधन के रूप में सामाजिक सम्मिलन की वृद्वि करना। 
  4. सामुदायिक आत्मा और भक्ति भावना द्वारा सामाजिक नियन्त्रण को प्राप्त करना। 
  5. संघर्ष को रोकने तथा कुषलता एवं सहयोग की वृद्धि के लिय समूह और क्रियाओं में समन्वय स्थापित करना।
  6. समुदाय की अवांछनीय प्रभावों अथवा परिस्थितियों से रक्षा करना। 
  7. सामान्य आवश्यकताओं का पता लगाने के लिए अन्य संस्थाओं तथा समुदायों से सहयोग करना। 
  8. एकमतता प्राप्त करने के साधनों का विकास करना। 
  9. नेतृत्व को विकसित करना। 

सामुदायिक संगठन के अंग

सामुदायिक संगठन समाज कार्य की एक प्रणाली हैजिसके द्वारा कार्यकर्ता व्यक्ति को समुदाय के माध्यम से किसी संस्था अथवा सामुदायिक केन्द्र में सेवा प्रदान करता हैजिससे उसके व्यक्तित्व का सन्तुलित विकास सम्भव होता है। इस प्रकार सम्पूर्ण सामुदायिक संगठन के कार्य तीन स्तम्भों पर आधारित है :-

  1. कार्यकर्ता 
  2. समुदाय
  3. संस्था 

कार्यकर्ता - 

सामुदायिक संगठन कार्य में कार्यकर्ता एक ऐसा व्यक्ति होता हैजो उस समुदाय का सदस्य नहीं होताजिसके साथ वह कार्य करता है। इस कार्यकर्ता में कुछ निपुणतायें होती हैं जो व्यक्तियों को कार्योव्यवहारों तथा भावनाओं के ज्ञान पर आधारित होती है उसमें समुदाय के साथ कार्य करने की क्षमता होती है तथा सामुदायिक स्थिति से निपटने की शक्ति एंव सहनषीलता होती है उसका उद्देश्य सामुदाय को आत्मनिर्देशित तथा आत्म संचालित करना होता है तथा वह ऐसे उपाय करता है। जिससे समूह का नियंत्रण समुदाय-सदस्यों के हाथ में रहता है। वह सामुदायिक अनुभव द्वारा व्यक्ति में परिवर्तन एवं विकास लाता है। कार्यकर्ता को निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है:-

  1. सामुदायिक स्थापना।
  2. संस्था के कार्य तथा उद्देश्य।
  3. संस्था के कार्यक्रम तथा सुविधायें।
  4. समुदाय की विशेषतायें।
  5. सदस्यों की संधियाँआवश्यक कार्य एंव योग्यतायें।
  6. अपनी स्वयं की निपुणतायें तथा क्षमतायें।
  7. समुदाय की कार्यकर्ता से सहायता प्राप्त करने की इच्छा।

सामुदायिक संगठन कार्यकर्ता अपनी सेवाओं द्वारा सामाजिक लक्ष्यों को प्राप्त करने का प्रयास करता है। वह व्यक्ति को स्वतंत्र विकास एवं उन्नति के लिए अवसर प्रदान करता है तथा व्यक्ति को सामान्य निमार्ण के लिये अनुकूल परिस्थितियाँ प्रदान करता है। वह सामाजिक सम्बन्धों के आधार मानकरशिक्षात्मक तथा विकासात्मक क्रियाओं का आयोजन व्यक्ति की समस्याों के समाधान के लिए करता है।

समुदाय - 

सामुदायिक संगठन कार्यकर्ता अपने कार्य का प्रारम्भ समुदाय के साथ करता हैं और समुदाय के माध्यम से ही उद्देश्य की ओर अग्रसर होता है। वह व्यक्ति को समुदाय सदस्य के रूप में जानता हैं तथा उसकी विशेषताओं को पहचानता है समुदाय एक आवश्यक साधन तथा यन्त्र होता है जिसको उपयोग में लाकर सदस्य अपने उद्देश्य की पूर्ति करते हैं जिस प्रकार का समुदाय होता हैं कार्यकर्ता को उसी प्रकार की भूमिका निभानी पड़ती हैं। सामुदायिक कार्य इस बात में विष्वास रखता है कि समुदाय का कार्य निपुणता प्राप्त करना नहीं है बल्कि प्राथमिक उद्देश्य प्रत्येक सदस्य का समुदाय में अच्छी प्रकार से समायोजन करना है।

संस्था - 

सामाजिक सामुदायिक कार्य में संस्था का विशेष महत्व होता है क्योंकि सामुदायिक कार्य का उत्पत्ति ही संस्थाओं के माध्यम से हुई है। संस्था की प्रकृति एंव कार्यकार्यकर्ता की भूमिका को निष्चित करते हैं। सामुदायिक कार्यकर्ता अपनी निपुणताओं का उपयोग एजेन्सी के प्रतिनिधि के रूप में करता है क्योंकि समुदाय एजेन्सी के महत्व को समझता है तथा कार्य करने की स्वीकृति देता है। अतकार्यकर्ता के लिए आवश्यक होता है कि वह संस्था के कार्यो से भली-भाँति परिचित हो। समुदाय के साथ कार्य प्रारम्भ करने से पहले कार्यकर्ता को संस्था की निम्न बातों को भली-भाँति समझना चाहिए:-

  1.  कार्यकर्ता को संस्था के उद्देश्यों तथा कार्यो का ज्ञान होना चाहिए। 
  2. संस्था की सामान्य विशेषताओं से अवगत होना तथा उसके कार्य क्षेत्र का ज्ञान होना चाहिए।
  3. उसको इस बात का ज्ञान होना चाहिए कि किस प्रकार संस्था समुदाय की सहायता करती है तथा सहायता के क्या-साधन के श्रोत हैं।
  4. संस्था में सामुदायिक संबंध स्थापना की दषाओं का ज्ञान होना चाहिए। 
  5. संस्था के कर्मचारियों से अपने संबंध के प्रकारों की जानकारी होनी चाहिए।
  6. उसको जानकारी होनी चाहिए कि ऐसी संस्थायें तथा समुदाय कितने है जिनमें किसी समस्याग्रस्त सदस्य को सन्दर्भित किया जा सकता है। 
  7. संस्था द्वारा समुदाय के मुल्यांकन की पद्धति का ज्ञान होना चाहिए। सामुदायिक एंव संस्था के माध्यम से ही समुदाय अपनी मूलभूत आवश्यकताओं को संतुश्ट करते हैं तथा विकास की और बढ़ते हैं। 

गैर सरकारी संगठन

§  एनजीओ का अर्थ होता हैगैर सरकारी संगठन। एनजीओ एक निजी संगठन होता है जो लोगों का दुख-दर्द दूर करनेनिर्धनों के हितों का संवर्द्धन करनेपर्यावरण की रक्षा करनेबुनियादी सामाजिक सेवाएँ प्रदान करने अथवा सामुदायिक विकास के लिये गतिविधियाँ चलाता है।

§  वे गैर लाभकारी होते हैंअर्थात् वे लाभ का वितरण अपने मालिकों और निदेशकों के बीच नहीं करते बल्कि प्राप्त लाभ को संगठन में ही लगाना होता है। वे किसी सार्वजनिक उद्देश्य को लक्षित होते हैं।

§  गैर सरकारी संस्थाओं को विदेशी धन प्राप्त करने के लिये एफसीआरए, 2010 के अंतर्गत पंजीकृत होना पड़ता है या पूर्व अनुमति लेनी होती है।

§  भारत में गैर सरकारी संगठनों की गतिविधियों पर नियंत्रण के लिये कोई एक विशेष कानून अथवा कोई शीर्ष संगठन नहीं है।

गैर सरकारी संगठनों की भूमिका

§  गैर सरकारी संगठनों की उपस्थिति नागरिकों की आवाज को अभिव्यक्ति देकर सहभागी लोकतंत्र को सक्षम बनाती है।

§  ये निम्नलिखित माध्यमों से जनता और सरकार के बीच प्रभावी गैर-राजनीतिक कड़ी के रूप में कार्य करते हैं:

§  परामर्श और रणनीतिक सहयोगजहाँ सरकार द्वारा गठित कमिटियोंटास्क फोर्स और सलाहकार पैनल में गैर सरकारी संगठनों को शामिल कर उनकी विशेषज्ञता का उपयोग किया जाता है।

§  जागरूकता फैलानेसामाजिक एकजुटतासेवा वितरणप्रशिक्षणअध्ययन व अनुसंधान एवं सार्वजनिक अपेक्षा को स्वर देने में ये सहयोग करते हैं। सरकार के प्रदर्शन पर संवाद व निगरानी द्वारा वे राजनीतिक जवाबदेही सुनिश्चित कराते हैं।

§  भोजन का अधिकारशिक्षा का अधिकार या मनरेगा और सबसे महत्त्वपूर्ण सूचना का अधिकार जैसे कई प्रमुख विधेयक गैर सरकारी संगठनों के हस्तक्षेप से ही पारित हुए।

संदेह के कारण

§  इंटेलिजेंस ब्यूरो की एक रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि गैर सरकारी संगठन ऐसी गतिविधियों में शामिल हैं जो राष्ट्रीय हितों के लिये नुकसानदेह हैंसार्वजनिक हितों को प्रभावित कर सकते हैं या देश की सुरक्षावैज्ञानिकसामरिक या आर्थिक हितों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं।

§  रिपोर्ट में उन्हें सरकार के विकास लक्ष्य के मार्ग की प्रमुख बाधा बताया गया है और आरोप लगाया गया है कि वे जीडीपी विकास पर प्रतिवर्ष 2-3 प्रतिशत का नकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं।

§  आईबी के रिपोर्ट के अनुसार विदेशी सहायता प्राप्त बहुत सारे एनजीओ देश में अलगाववाद और माओवाद को हवा दे रहे हैं। बहुत सारा पैसा धर्मांतरणविशेषकर आदिवासियों को ईसाई बनाने के काम में जा रहा है। उन पर यह आरोप भी लगाया जाता है कि विदेशी शक्तियाँ उनका उपयोग एक प्रॉक्सी के रूप में भारत के विकास पथ को अस्थिर करने के लिये करती हैंजैसेपरमाणु ऊर्जा संयंत्रें और खनन कार्य के खिलाफ गैर सरकारी संगठनों का विरोध प्रदर्शन।

आलोचना

§  गैर सरकारी संगठनों को प्राप्त विदेशी धन में से मात्र 13प्रतिशत का उपयोग धार्मिक गतिविधियों जैसी संभावित संदिग्ध गतिविधियों पर हुआ।

§  विदेशी निधियों का प्रमुखउपयोग ग्रामीण विकासगरीबों को शिक्षास्वास्थ्य आदि क्षेत्रोंमें हुआ।

§  एफआईआई और एफडीआई जैसे विदेशी धन आगमन की तुलना में गैर सरकारी संगठनों को प्राप्त होने वाला विदेशी धन अत्यल्प है।

आगे की दिशा

§  गैर सरकारी संगठन समुदायों को सबल बनाते हैंइसलिये उनके दमन की नहीं बल्कि उन्हें समर्थन देने की आवश्यकता है।

§  अगर किसी के पास एक असहमत दृष्टिकोण है तो इसका आशय यह नहीं है कि वह देश का शत्रु है।

§  सरकार और गैर सरकारी संस्थाओं को भागीदार के रूप में कार्य करना चाहिये और साझा लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये पूरक की भूमिका निभानी चाहिये जो परस्पर विश्वास व सम्मान के मूल सिद्धांत पर आधारित हो और साझा उत्तरदायित्व व अधिकार रखता हो।

  • नए नियमों के अनुसार सरकार द्वारा पूर्ण या आंशिक वित्तपोषित गैर सरकारी संगठनों के अधिकारियों को लोकपाल अधिनियम के अंतर्गत लोक सेवक माना गया है और उन्हें अपनी परिसंपत्तियों व देनदारियों का ब्यौरा दाखिल करना है और इस प्रकार अनुदान के दुरुपयोग या भ्रष्टाचार के आरोप में उन पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
  • एनजीओ के कामकाज के तरीकों तथा इन्हें मिलने वाली आर्थिक सहायता को लेकर अलग-अलग राय और तर्क सामने आते हैं। सवाल उठते हैं कि क्या NGO को स्वतंत्र तरीके से काम करने दिया जाना चाहियेउनकी विदेशी फंडिंग को रोक दिया जाना चाहिये अथवा उन पर और अंकुश लगाना चाहिये? उन पर और अंकुश लगाना चाहिये जो विदेशी धन का उपयोग धार्मिक मतांतरण जैसी अनधिकृत गतिविधियों में कर रहे थे।


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