सैटेलाइट, उपग्रह MPPSC MAINS

 

सैटेलाइट को हिंदी में उपग्रह कहते है और एक सैटेलाइट या उपग्रह का काम किसी ग्रह या  पिण्ड के चारो और चक्कर लगाना होता है | जैसे , पृथ्वी का प्राकृतिक उपग्रह चन्द्रमा है और  यह पृथ्वी के चारो चक्कर लगाता है | मनुष्यो द्वारा बनाये गए उपग्रह को कृत्रिम उपग्रह कहते  है और इन उपग्रह को अपने अनुसार नियंत्रित किया जा सकता है लेकिन जो प्राकृतिक उपग्रह होते है उनको हम नियंत्रित नहीं कर सकते है | अगर हम कृत्रिम सैटेलाइट की बात करे तो इनको communication के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है | इसके अलावा इनका इस्तेमाल  ग्रहो और उपग्रहों पर निगरानी रखने के लिए भी किया जाता है जैसे किस ग्रह की क्या पोजीशन है और अंतरिक्ष में क्या क्या घटित हो रहा है |

कुल मिलाकर हम सैटेलाइट का इस्तेमाल अपने Universe को जानने के लिए भी करते है | मानव निर्मित सैटेलाइट को रॉकेट के माध्यम से अंतरिक्ष में भेजा जाता है और वहाँ उसे छोड़ दिया जाता है | किसी भी सैटेलाइट को remotely कण्ट्रोल किया जाता है और सैटेलाइट कण्ट्रोल रूम से निर्धारित स्थान पर किसी भी ग्रह का चक्कर लगाने के लिए स्थापित किया  जाता है

उपग्रह के प्रकार ( Types of Satellite in hindi  ) 

अपने काम के अनुसार उपग्रह कई प्रकार के होते है जो निम्न है 

खगोलीय उपग्रह ( Astronomical  Satellite ) – खगोलीय उपग्रहों का प्रयोग दूर के ग्रहो नक्षत्रो , उल्का पिंडो आदि का अध्ययन करने में किया जाता है | खगोलीय उपग्रह का उपयोग ब्रह्मांड ( universe ) का अध्ययन करने में किया जाता है जिससे की इस universe के  रहस्यों को जाना जा सके

मौसम उपग्रह ( Weather Satellite ) – मौसम उपग्रह का उपयोग पृथ्वी पर मौसम  और जलवायु सम्बंधित की जानकारी के लिए किया जाता है | मौसम उपग्रह की मदद से  पृथ्वी पर मौसम की भविष्यवाणी की जाती है

किलर उपग्रह ( Anti-Satellite weapons ) इस प्रकार के उपग्रहों का उपयोग अंतरिक्ष में  दुश्मन के उपग्रह को मार गिराने के लिए किया जाता है | अंतरिक्ष में सामान्य हथियार से उपग्रहों  को नष्ट नहीं किया जा सकता है इसलिए Anti-Satellite weapons का इस्तेमाल किया  जाता है

दैनिक जीवन में उपयोग होने वाले सैटेलाइट

नेविगेशन उपग्रह ( Navigation Satellite ) – नेविगेशन उपग्रह का उपयोग पृथ्वी पर किसी भी  डिवाइस का सही स्थान निर्धारण करने में किया जाता है | इस तरह के उपग्रह पृथ्वी पर एक तरह की  रेडियो तरंगे विसरित करते है जिससे की डिवाइस में लगा Radio Waves रिसीवर इन तरंगो  को प्राप्त करता है जिससे की डिवाइस का स्थान निर्धारण हो सके | नेविगेशन उपग्रह कई उपग्रहों से  जुड़ा रहता है , नेविगेशन में एक डिवाइस कम से कम तीन सैटेलाइट से जुड़ा होता है | भारत में  हम नेविगेशन के लिए जीपीएस ( GPS ) का इस्तेमाल करते है जो USA का एक नेविगेशन  सिस्टम है सिस्टम है

संचार उपग्रह ( Communication Satellite ) जैसा की नाम से पता चलता है की इसका इस्तेमाल  communication में होता है | संचार उपग्रह पृथ्वी पर डाटा को transfer और receive करने का काम करते है | इन उपग्रहों का इस्तेमाल हम टेलीविज़न , इंटरनेट , फ़ोन कॉल आदि में करते है | हम अपने डिश पर जो भी चैनल देखते है ,पहले उस चैनल के कार्यक्रम को satellite पर send किया जाता है , बाद में  अपने निर्धारित समय के अनुसार satellite के माध्यम से वो कार्यक्रम प्रसारित होता है

ऊचाई के अनुसार उपग्रह के प्रकार  

ऊचाई के आधार पर उपग्रह को तीन केटेगरी में बांटा गया है – 

Low  Earth Orbit Satellite ( LEO ) – इस तरह के उपग्रह पृथ्वी की कक्षा के काफी  समीप होते है | इनकी ऊचाई 150 से 2000 km तक होती है | इन उपग्रहों का इस्तेमाल पृथ्वी के अलग अलग भागो की इमेज लेने लिए किया जाता है | इस प्रकार कम ऊचाई  पर होने के कारण इनका सबसे ज्यादा इस्तेमाल इमेज और स्कैनिंग के लिए किया जाता है | LEO satellite काफी तेज गति से पृथ्वी का चक्कर लगाते है | एक दिन में ये करीब 5 – 10 बार पृथ्वी का चक्कर लगाते है |  

Medium Earth Orbit Satellite ( MEO ) – ये satellite पृथ्वी से काफी दूर होते है और करीब  12 घंटे में पृथ्वी का एक चक्कर पूरा कर लेते है यानि ये पूरे दिन में दो बार पृथ्वी का चक्कर  लगाते है | इस प्रकार के सैटेलाइट का उपयोग नेविगेशन के लिए किया जाता है

High Earth Orbit Satellite ( HEO ) ये उपग्रह पृथ्वी से करीब 36,000 km की ऊचाई  पर होते है | इस प्रकार ये पृथ्वी की सबसे ऊंची कक्षा में होते है और पृथ्वी की ही चाल के   बराबर इनकी गति होती है | इनकी चाल पृथ्वी की चाल के बराबर होने के कारण ये  एक दिन में पृथ्वी का केवल एक ही चक्कर लगा पाते है | ये हमेशा पृथ्वी के ही साथ घूमते है इसलिए इनको जिस लोकेशन पर रखा जाता है , ये हमेशा उसी लोकेशन पर  रहते है | जैसे अगर किसी HEO Satellite को इंडिया के ऊपर सेट किया गया है तो  हमेशा इंडिया के ही ऊपर रहेगा क्योकि वो सैटेलाइट तो पृथ्वी के ही साथ घूमता है | इस प्रकार के सैटेलाइट का उपयोग Communication के लिए किया जाता है | इनको Geostationary Satellite भी कहा जाता है

सैटेलाइट के उपयोग ( Uses of Satellite in hindi ) 

आज के समय में सैटेलाइट एक महत्वपूर्ण टेक्नोलॉजी बन चुकी है जिसकी सहायता  से हम नेविगेशन जैसी चीज़ो को कर सकते है | नीचे हम सैटेलाइट के कुछ महत्वपूर्ण  उपयोग के बारे में जानेंगे – 

संचार के छेत्र में –  सैटेलाइट का सबसे ज्यादा use संचार के ही छेत्र में हो रहा है सैटेलाइट टेलीविज़न , सैटेलाइट इंटरनेट , सैटेलाइट फ़ोन , आदि में सैटेलाइट का उपयोग  होता है | सैटेलाइट फ़ोन की मदद से हम उन इलाको में भी कॉल कर सकते है जहां पर कोई भी सेल टॉवर या किसी भी प्रकार के तार को पहुंचाया ना जा सके

नेविगेशन में – सैटेलाइट की मदद से बड़ी आसानी से हम नेविगेट करते हुए एक जगह से  दूसरी जगह तक जा सकते है | आज हम बहुत आसानी से ये जान सकते है की एक जगह से दूसरी जगह की दूरी कितनी है और उस जगह पर कौन- कौन सी चीज़े स्थित है | भारत में हम  नेविगेशन के लिए GPS का इस्तेमाल करते है जो US Army द्वारा बनाया गया था | GPS का फुल फॉर्म Global Positioning System होता है | यह कई सैटेलाइट से मिलकर बना होता है | इस समय इसमें लगभग 30 से अधिक सैटेलाइट है | इसे 1978 में लांच  किया गया था

मौसम के पूर्वानुमान में – मौसम और जलवायु की जानकारी प्राप्त करने में भी  सैटेलाइट का उपयोग होता है | इसमें Weather Satellite का use होता है | ये सैटेलाइट  मौसम का पूर्वानुमान करने में सक्षम होते है | जैसे , पृथ्वी के किस जगह पर बारिस होने की  सम्भावना है , हवा की चाल क्या होगी , मौसम ठंडा या गर्म रहेगा इत्यादि

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