सुदूर संवेदन (remote sensing ) सुदूर संवेदन क्या है

 

सुदूर संवेदन (remote sensing ) सुदूर संवेदन क्या है , प्रकार , उपयोग , अनुप्रयोग सक्रिय

 और निष्क्रिय सुदूर संवेदन : ऐसी प्रक्रिया जिसके द्वारा किसी वस्तु या , जगह या किसी

 घटना के संपर्क में आये बिना ही इनकी सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त कर ली जाती है उस

 प्रक्रिया को सुदूर संवेदन कहते है।


सुदूर संवेदी उपकरण द्वारा किसी वस्तु या घटना के आंकड़े इक्कट्ठे किये जाते है और इन

 आंकड़ों के आधार पर उस वस्तु या घटना की स्थिति आदि कई चीजो का पता लगाया

 जाता है।


सूदूर संवेदी उपग्रह द्वारा किया जाता है , यह उपग्रह पृथ्वी के बाहर इसकी कक्षा में स्थित

 रहता है और वहां से हमें जिस स्थान या घटना की स्थिति जाननी होती है उस उपग्रह को

 वहां सेट किया जाता है और फिर फोटो भी क्लिक करके यह उपग्रह उन फोटो को पृथ्वी

 पर हमारे वैज्ञानिकों के पास भेजता है।


सुदूर संवेदी के प्रकार

सुदूर संवेदन को दो भागों में वर्गीकृत किया गया है

1. सक्रीय सुदूर संवेदन

2. निष्क्रिय सुदूर संवेदन

1. सक्रीय सुदूर संवेदन : वे संवेदी उपकरण जो स्वयं विद्युत चुम्बकीय तरंगे उत्पन्न करते है और जिस जगह या वस्तु की जानकारी लेनी है उसकी तरफ इन तरंगों को भेजता है और ये तरंगें जब वस्तु से टकराकर आती है है इन परावर्तित तरंगों के आधार पर आंकड़ो का पता लगाता है .

उदाहरण : रडार में सक्रीय संवेदन उपयोग किया जाता है , यह ऊर्जा के एक स्पंद वस्तु की तरफ भेजता है और जब यह स्पंद वस्तु से टकराकर वापस आता है तो उससे सम्बंधित आकंड़ो को आई हुई स्पंद के आधार पर करता है .

2. निष्क्रिय सुदूर संवेदन : इस प्रकार के सूदूर संवेदी उपकरण में सूर्य का प्रकाश वस्तु से

 परावर्तित होकर इस उपकरण के पास आता है और इस परावर्तित सूर्य के प्रकाश के आधार पर आकंड़ो का पता लगाया जाता है या जानकारी प्राप्त की जाती है।


सुदूर संवेदन एक उपग्रह के द्वारा संपन्न होता है और यह उपग्रह पृथ्वी के चारों ओर एक

 निश्चित कक्षा में स्थित रहता है , यह उपग्रह पृथ्वी के प्रत्येक भाग से गुजरता है और

 इसके गुजरने का समय निश्चित होता है अर्थात एक निश्चित समय बाद यह पृथ्वी के

 एक निश्चित जगह से गुजरता है अर्थात एक निश्चित समय बाद यह पृथ्वी के हिस्से की

 जानकारी या फोटो पृथ्वी पर वैज्ञानिकों को भेजता है और इस आधार पर वैज्ञानिक पृथ्वी

 के हर हिस्से की जानकारी रखते है और आगामी घटनाओं के लिए तैयार रहते है।

भारत के सुदूर संवेदन उपग्रह निम्न है

IRS-1A , JRS-1B , IRS-1C आदि भारतीय सुदूर संवेदी उपग्रह है।


सुदूर संवेदन के उपयोग या अनुप्रयोग

इनके द्वारा विभिन्न प्रकार के 

अनुप्रयोग किये जाते है जिससे हमारा दैनिक जीवन आसान और

 सुविधाजनक बनता है , इनके उपयोग निम्न है

·         मौसम विभाग द्वारा इनके आंकड़ो का उपयोग करके आने वाली मौसम परिवर्तन में और घटनाओं के बारे में जानकारी देता है , जैसे यह पृथ्वी के किसी कोने में चलने

 वाली किसी खतरनाक हवा या चक्रवात आदि के बारे में शुरू होते ही आगामी हिस्सों को सतर्क कर देते है।

·         किसी जगह पर या समुद्र में पानी का स्तर या बर्फ की मात्रा आदि का पता भी इन संवेदी उपग्रह द्वारा ही लगाया जाता है।

·         किसी शहर , आपातकालीन स्थिति का सर्वे या जानकारी आदि का भी पता लगाया जाता है।

·         किसी युद्ध क्षेत्र में दुश्मनों की स्थिति या उनकी गतिविधियों का पता भी लगाया जा सकता है।

·         किसी प्राकृतिक घटनाओं का पता लगाने या स्थिति का अर्थात घटना में क्षति आदि का सर्वें का पता भी लगाया जाता है।

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