Comptroller and Auditor General of India; /CAG/भारत के नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक
भारत के
नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक ( Comptroller and Auditor General of India; संक्षिप्त नाम: CAG कैग), भारतीय संविधान के अध्याय 5 द्वारा स्थापित
एक प्राधिकारी है जो भारत सरकार तथा सभी
प्रादेशिक सरकारों के सभी तरह के लेखों का अंकेक्षण करता है। वह
सरकार के स्वामित्व वाली कम्पनियों का भी अंकेक्षण करता है। उसकी रिपोर्ट पर सार्वजनिक लेखा समितियाँ ध्यान देती है।
भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक एक स्वतंत्र संस्था के रूप में कार्य करते हैं
और इस पर सरकार का नियंत्रण नहीं होता| भारत के नियंत्रण
और महालेखापरीक्षक की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती हैं|नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक ही भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा सेवा का भी मुखिया
होता है। इस समय पूरे भारत की इस सार्वजनिक संस्था में 58 हजार से अधिक
कर्मचारी काम करते हैं।
भारत के नियन्त्रक एवं
महालेखापरीक्षक का कार्यालय 10 बहादुर शाह जफर मार्ग पर नई दिल्ली में स्थित है।
वर्तमान समय में इस
संस्थान के प्रमुख गिरीश चंद्र मूर्मू हैं। वे भारत के 14वें नियन्त्रक
एवं महालेखापरीक्षक हैं।
कार्यकाल
किसी भी कैग
प्रमुख का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की उम्र, जो भी पहले होगा, की अवधि के लिए
राष्टपति द्वारा नियुक्त किया जाता है।
भारत के पहले नियन्त्रक
एवं महालेखापरीक्षक --- वी० नरहरि राव
संस्था केन्द्र
अथवा राज्य सरकार के अनुरोध पर किसी भी सरकारी विभाग की जाँच कर सकती है। अनुच्छेद
148 के अनुसार भारत का एक नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक
होगा। यह भारत सरकार की रिपोर्ट राष्ट्रपति को और राज्य सरकार की रिपोर्ट राज्य के
राज्यपाल को देता है।
नियंत्रक एवं
महालेखा परीक्षक के कार्य
(1) वह भारत की संचित
निधि , प्रत्येक राज्य की संचित और प्रत्येक संघ शाषित
प्रदेश, जहाँ विधानसभा हो, से सभी व्यय
सम्बन्धी लेखाओं की लेखा परीक्षा करता है।
इसका वेतन संसद द्वारा निर्धारित होता हैं। अनु.148(4) के अनुसार नियन्त्रक
एवं महालेखापरीक्षक
अपने पद पर न रह जाने
के पश्चात, भारत सरकार के या किसी राज्य सरकार के अधीन किसी और
पद का पात्र नहीं होगा। संसद के दोनों सदनों द्वारा विशेष बहुमत के साथ उसके
दुर्व्योहर या अयोग्यता पर प्रस्ताव पारित कर इसे पद से हटाया जा सकता हैं।
उसकी रिपोर्ट पर सार्वजनिक लेखा समितियाँ ध्यान/ कार्य करती है इसे लोक लेखा
समिति का 'आंख व कान' कहा जाता हैं। आखिरकार विपक्ष ऑर कैग के मध्य
सामंजस्य यह होता है अगर किसी लेन देन में गलती हो तो उसे विपक्ष को बताना
भारत के
नियंत्रक-महालेखापरीक्षक
भारतीय संविधान के अध्याय 5
अनुच्छेद 148 - भारत के
नियंत्रक-महालेखापरीक्षक
·
भारत के एक
नियंत्रक-महालेखापरीक्षक होगा जिसकेा राष्ट्रपति अपने हस्तााक्षर और मुद्रा सहित
अधिपत्र द्वारा नियुक्त करेगा और उसे उसके पद से केवल उसी रीति से और उन्ही आधारों
पर हटाया जाएगा जिस रीति से और जिन आधारों पर उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को
हटाया जाता है।
·
प्रत्येक व्यक्ति जो भारत
का नियंत्रक-महालेखापरीक्षक नियुक्त किया जाता है पदग्रहण करने से पहले राष्ट्रपति
या उसके द्वारा इस निमित्त नियुक्त व्यक्ति के समक्ष तीसरी अनुसूची में इस प्रयोजन
के लिए दिए गए प्रारूप के अनुसार शपथ लेगा या प्रतिज्ञान करेगा और उस पर अपने
हस्ताक्षर करेगा।
·
नियंत्रक-महालेखापरीक्षक
का वेतन और सेवा की अन्य शर्तें ऐसी होगी जो संसद, विधि द्वारा अवधारित करें और जब तक वे इस प्रकार
अवधारित नहीं की जाती है तब तक ऐसी होगी जो दूसरी अनूसूची में विनिर्दिष्ट हैं:
परन्तु न तो नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के वेतन में और न ही अनुपस्थिति छुट्टी पेंशन
या निवृत्ति की आयु के संबंध में उसके अधिकारों में उसी नियुक्तिम के पश्चात उसके
लिए अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जाएगा।
·
नियंत्रक-महालेखापरीक्षक, अपने पद पर न रह जाने के
पश्चात या तो सरकार के या किसी राज्य की सरकार के अधीन किसी और पद का पात्र नहीं
होगा।
·
इस संविधान के और संसद
द्वारा बनाई गई किसी विधि के उपबंधों के अधीन रहते हुए, भारतीय लेखापरीक्षा और
लेखा विभाग में सेवा करने वाले व्यक्तियों की सेवा शर्तें और
नियंत्रक-महालेखापरीक्षक की प्रशासनिक शक्तियां ऐसी होगी जो
नियंत्रक-महालेखापरीक्षक से परामर्श करने के पश्चात् राष्ट्रपति द्वारा बनाए गए
नियमों द्वारा विहित की जाए।
·
नियंत्रक-महालेखापरीक्षक
के कार्यालय के प्रशसनिक व्यय, जिनके अंतर्गत उस कार्यालय में सेवा करने वाले व्यक्तियों को या उनके संबंध
सभी में देय वेतन, भत्ते ओर पेंशन है, भारत की संचित निधि पर भारित होंगे।
अनुच्छेद 149 - भारत के
नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के कर्तव्य एवं शक्तियां
नियंत्रक-महालेखापरीक्षक
संघ के और राज्यों के तथा अन्य किसी प्राधिकारी या निकाय के लेखाओं के संबंध में ऐसे
कर्तव्यों का पालन और ऐसी शक्तियों का प्रयोग करेगा जिन्हें संसद द्वारा बनाई गई
विधि द्वारा या उसके अधीन विहित किया जाए और जब तक इस निमित्व इस प्रकार उपबंध
नहीं किया जाता तब तक संघ के औरा राज्यों के लेखाओं के संबंध में ऐसे कर्तव्यों का
पालन और ऐसी शक्तिंयों का प्रयोग करेगा जो इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले
क्रमश: भारत डोमिनियन के और प्रांतों के लेखाओं के संबंध में भारत के
नियंत्रक-महालेखापरीक्षक को प्रदत थी या उसके द्वारा प्रयोक्तव्य थीं।
अनुच्छेद 150 - संघ के और
राज्यों के लेखाओं का प्रारूप
संघ के और राज्यों के
लेखाओं को ऐसे प्रारूप में रखा जाएगा जो राष्ट्रपति, भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक से परामर्श के
प्रश्चात विहित करें।
अनुच्छेद 151 - लेखापरीक्षा
प्रतिवेदन
·
भारत के नियंत्रक
महालेखापरीक्षक की संघ के लेखाओं संबंधी रिपोर्टों को राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत
किया जाएगा जो उनको संसद के प्रत्येक संदन के समक्ष रखवाएगा।
·
भारत के
नियंत्रक-महालेखापरीक्षक की किसी राज्य के लेखाओं संबंध रिपोर्टों को राज्यपाल के
समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा जो उनको उस राज्य के विधान-मंडल के समक्ष रखवाएगा।
भारत के पहले नियन्त्रक
एवं महालेखापरीक्षक --- वी० नरहरि राव
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