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जनजाति कला

  जनजाति कला जनजाति संस्कृति के दर्शन हमें विभिन्न अनुष्ठानों में दिखाई देता है। इनके जीवन का सौन्दर्य बोध चित्रों , शिल्पों , नृत्य और गीतों में दिखाई देता है। इनके चित्रों को देखने से पता चलता है कि ये आड़ी तिरछी रेखाएँ नहीं उनमें रंग  और रेखाओं का अनन्त विस्तार दिखाई देता है। वे कला की पूर्ति के लिये प्रकृति से प्राप्त सहज सुलभ संसाधनों का  उपयोग करते हैं। इनके चित्रों में रंगों का फैलाव , कहीं रेखाओं का उलझाव , कहीं बिन्दुओं का विस्तार , कहीं अभिप्रायों का विलक्षणता और कहीं सिर्फ आकारों की अनघड़ता के दर्शन होते हैं। चिड़िया , मोर , हिरण आदिवासियों के लिये सिर्फ पशु-पक्षी नहीं हैं , बल्कि इनका गाँव , घर और कृषि से गहरा सम्बन्ध होता है। इनका प्रकृति से निकट सम्बन्ध तो है ही , साथ ही कला जीवन का अनिवार्य अंग है। भील जनजाति के लोग ‘ पिथौरा ’ मिथकीय घोड़े बनाते हैं। इसी प्रकार कोरकू की स्त्रियाँ दीवारों पर ‘ थाठिया ’ खड़िया या गेरू से बनाती है। भील , गोंड , परधान , राठ्या और बैगा जनजाति के लोग स्वयं के शरीर को ‘ गुदने ’ से अलंकृत कराते हैं। ये गुदने मात्र शारीरिक अलंकर...

अर्बन लैंडस्केप सिटी प्रोग्राम’ विश्व धरोहर शहरों ग्वालियर और ओरछा

  अर्बन लैंडस्केप सिटी प्रोग्राम ’ विश्व धरोहर शहरों ग्वालियर और ओरछा 07 दिसंबर 2020 मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक किला शहर ग्वालियर और ओरछा को यूनेस्को ने अपने ‘ अर्बन लैंडस्केप सिटी प्रोग्राम ’ के तहत विश्व धरोहर शहरों की सूची में शामिल किया है। राज्य के ग्वालियर और ओरछा को संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक , वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) की विश्व धरोहर शहरों की सूची में शामिल किया गया है। पर्यटन से जुड़े विशेषज्ञ इसे राज्य के लिए बड़ी उपलब्धि मान रहे हैं। विश्व धरोहर शहरों की सूची में आने के बाद ग्वालियर और ओरछा की शक्ल पूरी तरह से बदल जाएगी। अधिकारी ने बताया कि यूनेस्को अब ग्वालियर और ओरछा के ऐतिहासिक स्थलों को बेहतर बनाने तथा उसकी खूबसूरती निखारने के लिए पर्यटन विभाग के साथ मिलकर मास्टर प्लान तैयार करेगा। साल 2021 में यूनेस्को की टीम मध्य प्रदेश आएगी और यहां की धरोहर संपदा को देखकर मास्टर प्लान तैयार करेगी। उन्होंने कहा कि यह परियोजना भारत और दक्षिण एशिया के लिए एक मिसाल कायम करेगी। इस परियोजना के तहत यूनेस्को इन ऐतिहासिक शहरों के लिए ऐतिहासिक नगरीय परिदृय (एचयूएल) सिफारिशों पर...

युनेस्को विश्व विरासत स्थल/ विश्व धरोहर स्थल

  युनेस्को विश्व विरासत स्थल / विश्व धरोहर स्थल   ऐसे खास स्थानों (जैसे वन क्षेत्र ,  पर्वत ,  झील ,  मरुस्थल ,  स्मारक ,  भवन , या   शहर   इत्यादि) को कहा जाता है , जो   विश्व विरासत स्थल समिति   द्वारा चयनित होते हैं ; और यही समिति इन स्थलों की देखरेख युनेस्को   के तत्वाधान में करती है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य विश्व के ऐसे स्थलों को चयनित एवं संरक्षित करना होता है जो विश्व संस्कृति की दृष्टि से मानवता के लिए महत्वपूर्ण हैं। कुछ खास परिस्थितियों में ऐसे स्थलों को इस समिति द्वारा आर्थिक सहायता भी दी जाती है।   मध्य प्रदेश की तीन ऐतिहासिक जगहों को यूनेस्को ने विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया है. इनमें से मध्य प्रदेश का पहला विश्व धरोहर स्थल खजुराहो है खजुराहो के मंदिरों  को 1986 में विश्व धरोहर स्थलों में सम्मिलित किया गया था     खजुराहो मध्य प्रदेश  के छतरपुर जिले में स्थित एक छोटा सा कस्बा है भारत में ताजमहल के बाद सबसे ज्यादा देखे जाने और घूमनेके लिए पसंद किए जाने वाले स्थानों में खजुराह...