मिशन इंद्रधनुष /सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम

 

सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम

मिशन इंद्रधनुष

भारत सरकार के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय सभी बच्चों को टीकाकरण के अंतर्गत लाने के लिये "मिशन इंद्रधनुष" को

 सुशासन दिवस के 25 दिसंबर,2014 अवसर पर प्रारंभ किया गया। इंद्रधनुष के सात रंगों को प्रदर्शित करने वाला

 मिशन इंद्रधनुष का उद्देश्य उन बच्चों का 2020 तक टीकाकरण करना है जिन्हें टीके नहीं लगे हैं या

 डिफ्थेरियाबलगमटिटनसपोलियोतपेदिकखसरा तथा हेपिटाइटिस-बी रोकने जैसे सात टीके आंशिक रूप से लगे

 हैं। यह कार्यक्रम हर साल प्रतिशत या उससे अधिक बच्चों के पूर्ण टीकाकरण में तेजी से वृद्धि के लिए विशेष

 अभियानों के जरिए चलाया जाएगा

कार्यक्रम के लक्ष्य

मंत्रालय का कहना है कि प्रतिवर्ष पांच प्रतिशत और उससे अधिक बच्चों को टीकाकरण कवरेज में शामिल करने की प्रक्रिया तेज करने के लिए तथा 2020 तक संपूर्ण कवरेज के लक्ष्य को हासिल करने के लिए मिशन को अपनाया गया है। योजना के अनुसार प्रणालीबद्ध टीकाकरण अभियान पुराने अभियान के जरिए चलाया जाएगाजिसका लक्ष्य उन बच्चों को कवर करना है जो टीकाकरण से वंचित रह गए हैं। ऐसा लक्षित है कि मिशन इंद्रधनुष के अंतर्गत जनवरी तथा जून 2015 के बीच चार विशेष टीकाकरण अभियान चलाए जाएंगे। इसकी व्यापक नीति होगी और अभियानों की निगरानी की जाएगी। मिशन की नीति बनाने और उसे लागू करने में पोलियो कार्यक्रम के कार्यान्वयन की सफलता से सीख ली जाएगी। पहले चरण में 201 जिले कवर किए जाएंगे और 2015 में दूसरे चरण में 297 जिलों को लक्ष्य बनाया जाएगा। स्वास्थ्य मंत्रालय ने विभिन्न महत्वपूर्ण संगठनों को भी इसमें भागीदारी दी है निर्धारित है कि  विश्व स्वास्थ्य संगठनयूनिसेफरोटरी इंटरनेशनल तथा अन्य दाता सहयोगी मंत्रालय को तकनीकी समर्थन देंगे। मास मीडियाअंतर-वैयक्तिक संचारनिगरानी की मजबूत व्यवस्थायोजना मूल्यांकन मिशन इंद्रधनुष के महत्वपूर्ण घटक हैं।

इंद्रधनुष मिशन के लिए रणनीति

मिशन इंद्रधनुष - देशभर के महत्‍वपूर्ण व्‍यवहारिक क्षेत्रों में उच्‍च टीकाकरण सुनिश्चित करने के लिए राष्‍ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम होगा। इसमें उन जिलों पर विशेष ध्‍यान दिया जाएगा जहां टीकाकरण कम हुआ है।

 

सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम

भारत में टीकाकरण कार्यक्रम को वर्ष 1978 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने 'टीकाकरण/प्रतिरक्षण (ईपीआई) के विस्तारित कार्यक्रम' के रूप में शुरू किया गया था। यह विश्व के सबसे बड़े स्वास्थ्य कार्यक्रमों में से एक है। वर्ष 1985 में  टीकाकरण कार्यक्रम को 'सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम' (यूआईपी) के रूप में संशोधित किया गया, ताकि वर्ष 1989 से वर्ष 1990  तक देश के सभी जिलों को कवर करने के लिए चरणबद्ध तरीके से कार्यान्वित किया जा सके।

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम के माध्यम से शिशुओं, बच्चों और गर्भवती महिलाओं को कई प्रकार के टीके/वैक्सीन प्रदान करती है।

टीकाकरण के बारे में

टीकाकरण एक प्रक्रिया है। आमतौर पर इस प्रक्रिया में टीकाकरण के माध्यम से व्यक्ति में प्रतिरक्षित या संक्रामक रोग के लिए प्रतिरोधी क्षमता विकसित की जाती है। टीकाकरण ऐसा पदार्थ हैं, जो कि व्यक्ति के शरीर को संक्रमण या रोग से बचाने के लिए उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।

सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (यूआईपी) के तहत प्रदान किए जाने वाले टीके:

बीसीजी

बीसीजी के बारे में- बीसीजी का तात्पर्य बेसिल कालमेट-ग्युरिन (बीसीजी) वैक्सीन है। यह शिशुओं को ट्यूबरक्युलर मेनिंगजाइटिस और संचारित टीबी से बचाने के लिए दिया जाता है।

 

वैक्सीन देने का समय- बीसीजी का टीका जन्म पर या एक वर्ष तक जितनी जल्दी संभव हो उतनी जल्दी दिया जाता है।

वैक्सीन देने का तरीका- बीसीजी को बायी बांह के ऊपरी हिस्से में अंतर्त्वचीय के माध्यम से दिया जाता है। 

ओपीवी

ओपीवी के बारे में- ओपीवी का तात्पर्य ओरल पोलियो वैक्सीन है। यह बच्चों को पोलियोमेलाइटिस से बचाता है। 

वैक्सीन देने का समय- ओपीवी को जन्म के समय दिया जाता है, जिसे शून्य खुराक कहा जाता है तथा तीन खुराके छह, दस और चौदह सप्ताह में दी जाती है। बूस्टर खुराक सौलह से चौबीस महीने की उम्र में दी जाती है।

वैक्सीन देने का तरीका- ओपीवी को मुंह में (मुख के माध्यम से) दो बूंदों डालने के रूप में दिया जाता है।

हेपेटाइटिस बी टीकाकरण

हेपेटाइटिस बी वैक्सीन के बारे में- हेपेटाइटिस बी का टीका हेपेटाइटिस बी वायरस संक्रमण से बचाता है।

वैक्सीन देने का समय- हेपेटाइटिस बी का टीका जन्म पर या चौबीस घंटों के भीतर जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी दिया जाता है। इसके बाद तीन खुराके छह, दस और चौदह सप्ताह में डीपीटी और हिब के संयोजन में पेंटावैलेंट वैक्सीन के रूप में में दी जाती है।

वैक्सीन देने का तरीका- अंतरापेशी इन्जेक्शन को जांघ के मध्य अग्रवर्ती/पूर्ववर्ती तरफ दिया जाता है।

पेंटावैलेंट वैक्सीन

पेंटावैलेंट वैक्सीन के बारे में जानकारी- पेंटावैलेंट वैक्सीन पांच रोगों- डिप्थीरिया, टेटनस, पर्टुसिस (काली खांसी), हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी, हेपेटाइटिस बी से बच्चों को बचाने वाली संयुक्त वैक्सीन है।

 

वैक्सीन देने का समय- तीन खुराकें छह, दस और चौदह सप्ताह की आयु (एक वर्ष की उम्र में दी जा सकती है) में दी जाती हैं।

 

वैक्सीन देने का तरीका- पेंटावैलेंट वैक्सीन बायीं मध्य जांघ के आगे व बाहरी हिस्से में अंतरापेशी के माध्यम से दी जाती है।

 

रोटावायरस वैक्सीन

 

रोटावायरस वैक्सीन के बारे में- आरवीवी का तात्पर्य रोटावायरस वैक्सीन है। यह रोटवायरस डायरिया के खिलाफ शिशुओं और बच्चों को सुरक्षा प्रदान करता है। यह चुनिंदा राज्यों में दिया जाता है।

 

वैक्सीन देने का समय- वैक्सीन की तीन खुराकें छह, दस, चौदह सप्ताह (एक वर्ष की उम्र में दी जा सकती है) में दी जाती है।

 

वैक्सीन देने का तरीका- तरल वैक्सीन की पांच बूंदें या 2.5 मिली (लियोफिलाइज्ड वैक्सीन) को मुंह में दिया जाता है।

 

पीसीवी (न्यूमोकॉकस संयुग्म टीकाकरण)

 

पीसीवी के बारे में- पीसीवी का तात्पर्य न्यूमोकोकल संयुग्म टीकाकरण (पीसीवी) है। यह शिशुओं और छोटे बच्चों को बैक्टीरिया स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया के कारण होने वाली रोगों से सुरक्षा प्रदान करता है। यह चुनिंदा राज्यों में दिया जाता है।

 

वैक्सीन देने का समय- यह वैक्सीन छह से चौदह सप्ताह की उम्र में दो प्राथमिक खुराक के रूप में दिया जाता है तथा इसके बाद 9-12 महीने की उम्र में बूस्टर खुराक दी जाती है।

 

वैक्सीन देने का तरीका- पीसीवी को बायीं मध्य जांघ के आगे व बाहरी हिस्से में अंतरापेशी (आईएम) के माध्यम से दिया जाता है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि पेंटावैलेंट वैक्सीन और पीसीवी को अलग-अलग अर्थात् दोनों जांघों में दिया जाता है।

 

एफआईपीवी

 

निष्क्रिय पोलियो टीकें/वैक्सीन (आईपीवी) के बारे में- एफआईपीवी का तात्पर्य निष्क्रिय पोलियोमेलाइटिस टीका है। इसका उपयोग पोलियोमेलाइटिस के खिलाफ़ सुरक्षा बढ़ाने के लिए दिया जाता है।

 

वैक्सीन देने का समय- आईपीवी की आंशिक ख़ुराक छह और चौदह सप्ताह की उम्र में अंतर्त्वचीय के माध्यम से दी जाती है।

 

वैक्सीन देने का तरीका- इसे दाहिनी बांह के ऊपरी हिस्से में अंतर्त्वचीय के माध्यम से दिया जाता है।

 

मीज़ल्स (ख़सरा)/एमआर वैक्सीन

 

मीज़ल्स के बारे में- बच्चों को मीसल्स से बचाने के लिए मीज़ल्स वैक्सीन का उपयोग किया जाता है। कुछ राज्यों में मीसल्स और रूबेला संक्रमण से बचाने के लिए मीसल्स और रूबेला की संयुक्त वैक्सीन दी जाती है।

 

वैक्सीन देने का समय- मीज़ल्स या एमआर की पहली ख़ुराक नौ महीने पूरे होने से बारह महीनों (यदि नौ से बारह महीने की उम्र में नहीं दी जाती है, तो पांच वर्ष तक दी जा सकती है) में दी जाती है तथा दूसरी ख़ुराक सौलह से चौबीस महीने की अवस्था में दी जाती है। 

 

वैक्सीन देने का तरीका- मीज़ल्स वैक्सीन को दाहिनी बांह के ऊपरी हिस्से में अधस्त्वचीय (त्वचा के नीचे) के माध्यम से दिया जाता है।

 

जेई टीकाकरण

 

जेई टीकाकरण के बारे में- जेई टीकाकरण से तात्पर्य जापानी इन्सेफेलाइटिस टीकाकरण है। यह जापानी इन्सेफेलाइटिस रोग के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है। जेई वैक्सीन अभियान के बाद जेई के लिए चुनिंदा जिलों में दिया जाता है।

 

वैक्सीन देने का समय- जेई वैक्सीन की दो खुराक दी जाती है। पहली खुराक नौ महीने पूरे होने पर दी जाती है तथा दूसरी ख़ुराक सौलह से चौबीस महीने की उम्र में दी जाती है।

 

वैक्सीन देने का तरीका- लाइव एटिन्यूएटेड वैक्सीन (जीवंत तनुकृत वैक्सीन) बाईं ऊपरी बांह में अधस्त्वचीय (त्वचा के नीचे इंजेक्शन के माध्यम से) दिया जाता है और नाशित वैक्सीन/किल्ड वैक्सीन (इनएक्टिवेटेड वैक्सीन/निष्क्रिय टीका) को मध्य जांघ के आगे व बाहरी हिस्से में अंतरापेशी इंजेक्शन/इंट्रामस्क्युलर इंजेक्शन (इस इंजेक्शन से दवा को शरीर के अंदर गहरे में मौजूद मांसपेशियों में पहुंचाया जाता है) के माध्यम से दिया जाता है।

 

डीपीटी बूस्टर

 

डीपीटी बूस्टर के बारे में- डीपीटी एक संयुक्त वैक्सीन है; यह बच्चों को डिप्थीरिया, टेटनस और काली खाँसी (पर्टुसिस) से बचाती है। 

 

वैक्सीन देने का समय- डीपीटी वैक्सीन सौलह से चौबीस महीने की उम्र में दी जाती है, जिसे डीपीटी की पहली बूस्टर ख़ुराक कहा जाता है तथा डीपीटी की दूसरी बूस्टर ख़ुराक पांच से छह वर्ष की उम्र में दी जाती है।

 

वैक्सीन देने का तरीका- डीपीटी की पहली बूस्टर ख़ुराक बायीं मध्य जांघ के आगे व बाहरी हिस्से में अंतरापेशी इंजेक्शन के माध्यम से दी जाती है। डीपीटी की दूसरी बूस्टर ख़ुराक बायीं बांह के ऊपरी भाग में अंतरापेशी इंजेक्शन के माध्यम से दी जाती है।

 

टेटनेस एंड एडल्ट डिप्थीरिया (टीडी) वैक्सीन:

 

 

• टीटी के बारे में- टीटी वैक्सीन को किशोरों और प्रौढ़ वयस्कों (सभी आयु वर्ग के समूहों के लये) में डिप्थीरिया के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए यूआईपी के तहत टीडी वैक्सीन से बदल दिया गया है। अब टेटनेस एंड एडल्ट डिप्थीरिया (टीडी) का टीका लगाया जाएगा।

 

• वैक्सीन देने का समय- टीडी वैक्सीन दस से सौलह साल की उम्र तक के किशोरों और गर्भवती महिलाओं को लगाई जाएगी। 

 

• गर्भवती महिला- गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाओं को टीटी-1 दिया जाता है; और टीटी-1 के बाद चौथे सप्ताह में टीटी-2 को दिया जाता है। यदि गर्भवती महिला ने पिछले तीन वर्षों में टीटी/टीडी 2 टीके प्राप्त किये है, तो उसे इस केवल बूस्टर टीडी का टीका ही दिया जाएगा। इंट्रा-मस्कुलर अपर आर्म/अंतरापेशी बांह के ऊपरी भाग में लगाया जाता है।

वैक्सीन देने का तरीका- टीटी को बांह के ऊपरी भाग में अंतरापेशी (इंट्रामस्कुलर इंजेक्शन) के माध्यम से दिया जाता है।


 

 

 

 

 


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